सातवीं अनुसूची: संघ, राज्य और समवर्ती सूची का महत्व
भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ, राज्य और समवर्ती सूची के प्रावधान दिए गए हैं, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन को स्पष्ट करते हैं। इससे यह निर्धारित होता है कि किस सरकार को किन विषयों पर कानून बनाने और प्रशासन करने का अधिकार है। यह प्रावधान संघीय ढांचे को मजबूत करता है और दोनों स्तरों पर सरकार के कार्यक्षेत्र को परिभाषित करता है। सातवीं अनुसूची के अंतर्गत तीन प्रमुख सूचियां हैं:
1. संघ सूची (Union List): केवल केंद्र सरकार को अधिकार प्राप्त हैं
संघ सूची में वे विषय शामिल होते हैं जिन पर केवल केंद्र सरकार को कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार होता है। यह सूची उन विषयों से संबंधित होती है जिनका राष्ट्रीय महत्व होता है और जिनके लिए देशव्यापी एकरूपता आवश्यक होती है।
प्रमुख विषय:
- रक्षा और सुरक्षा: राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा के सभी पहलू केंद्र सरकार के अधीन आते हैं, जिसमें सैन्य बलों का संगठन और उनकी देखभाल शामिल होती है।
- विदेश मामले: भारत के अन्य देशों के साथ कूटनीतिक, आर्थिक और राजनयिक संबंधों से जुड़े सभी विषय केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित होते हैं।
- नाभिकीय ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी विषय, चाहे वह अनुसंधान हो या नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों का संचालन, केंद्र सरकार के अधिकार में होते हैं।
- रेलवे: रेलवे का प्रशासन, रखरखाव और नियमन पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन होता है।
- संचार और टेलीग्राम: दूरसंचार, इंटरनेट सेवाएं और डाक सेवाएं जैसे महत्वपूर्ण संचार माध्यम केंद्र के अधीन होते हैं।
केंद्र सरकार के पास इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार होता है, क्योंकि ये विषय पूरे देश पर प्रभाव डालते हैं और इनके लिए समानता आवश्यक होती है। संघ सूची में कुल 97 विषय शामिल हैं (संविधान के प्रारंभ में), जो राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों से संबंधित होते हैं।
2. राज्य सूची (State List): राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के विषय
राज्य सूची में वे विषय होते हैं जिन पर राज्य सरकारों को कानून बनाने और लागू करने का अधिकार होता है। ये विषय आमतौर पर क्षेत्रीय महत्व के होते हैं और इनके लिए स्थानीय प्रशासन की आवश्यकता होती है।
प्रमुख विषय:
- पुलिस: कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का मुख्य दायित्व होता है, जिसमें पुलिस व्यवस्था शामिल होती है।
- स्वास्थ्य और स्वच्छता: राज्य स्तर पर अस्पतालों, चिकित्सा सेवाओं, स्वच्छता और रोग नियंत्रण से जुड़े विषय राज्य सरकार द्वारा देखे जाते हैं।
- कृषि: कृषि और पशुपालन से संबंधित सभी विषय राज्य सरकार के अधीन होते हैं, जिसमें सिंचाई, खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादों का नियमन शामिल है।
- शिक्षा: प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा, और क्षेत्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा का प्रबंधन राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
- अवसंरचना विकास: स्थानीय सड़कों, पुलों, जल आपूर्ति और आवास से संबंधित विषय राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं।
राज्य सूची में शामिल विषयों पर राज्य सरकार अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार कानून बना सकती है, जिससे क्षेत्रीय विकास और प्रशासन में लचीलापन आता है। प्रारंभ में राज्य सूची में 66 विषय थे, जो राज्य सरकारों को क्षेत्रीय नीति बनाने में सक्षम बनाते हैं।
3. समवर्ती सूची (Concurrent List): दोनों सरकारें (केंद्र और राज्य) कार्य कर सकती हैं
समवर्ती सूची में ऐसे विषय होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य, दोनों सरकारें कानून बना सकती हैं। इन विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों के पास अधिकार होते हैं, जिससे आवश्यकतानुसार दोनों स्तर की सरकारें इसमें योगदान दे सकती हैं।
प्रमुख विषय:
- अपराध और न्याय: न्यायिक प्रक्रिया, अपराध की परिभाषा और सजा के प्रावधान केंद्र और राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
- श्रम कानून: श्रमिकों के अधिकार, रोजगार और श्रम सुरक्षा से जुड़े कानून केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बनाए जा सकते हैं।
- शिक्षा: उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण से संबंधित विषय समवर्ती सूची में शामिल हैं, जिससे दोनों सरकारें इसमें योगदान दे सकती हैं।
- वन और पर्यावरण: वन संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य दोनों की नीतियां प्रभावी होती हैं।
- मूल्य नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों के पास अधिकार हैं।
समवर्ती सूची में किसी विषय पर राज्य द्वारा बनाया गया कानून तब तक प्रभावी रहता है जब तक कि केंद्र सरकार उस पर कोई कानून नहीं बना लेती। यदि दोनों सरकारें एक ही विषय पर कानून बनाती हैं और उनमें कोई विरोधाभास होता है, तो केंद्र का कानून प्रभावी माना जाता है। समवर्ती सूची में प्रारंभ में 47 विषय थे, जिन पर दोनों स्तर की सरकारें कानून बना सकती थीं।
सातवीं अनुसूची का महत्व:
भारतीय संघीय ढांचे को प्रभावी बनाने में सातवीं अनुसूची की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह न केवल केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन करती है, बल्कि यह यह भी सुनिश्चित करती है कि कोई भी सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर हस्तक्षेप न करे। समवर्ती सूची के माध्यम से, दोनों स्तरों पर सरकारों को मिलकर कार्य करने का अवसर मिलता है, जिससे जटिल और संवेदनशील विषयों का समाधान अधिक प्रभावी ढंग से हो सकता है।
इस प्रकार, सातवीं अनुसूची भारतीय संविधान के संघीय ढांचे को सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो विभिन्न सरकारों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के साथ सशक्त बनाती है।
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