राजस्थान: नए जिलों का निर्माण और इसके प्रभाव
प्रस्तावना
भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अपनी विशालता और विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों के कारण, राजस्थान में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू और कुशल बनाने के लिए समय-समय पर जिलों का पुनर्गठन आवश्यक हो जाता है। नए जिलों का निर्माण न केवल राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करता है, बल्कि जनता को सुविधाएं पहुँचाने में भी सहायता करता है।
हाल के वर्षों में, राजस्थान सरकार ने कई नए जिलों की घोषणा की है, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विकास और प्रशासनिक सुविधाओं को बेहतर बनाना है। इस आलेख में हम राजस्थान में नए जिलों के निर्माण, उनके प्रभाव, चुनौतियाँ, और इसके राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक आयामों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
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राजस्थान का प्रशासनिक ढांचा
वर्तमान समय में राजस्थान में प्रशासनिक रूप से जिलों का विभाजन किया गया है। प्रत्येक जिले का नेतृत्व एक ज़िला कलेक्टर द्वारा किया जाता है, जो राज्य के शासन का प्रमुख प्रतिनिधि होता है। जिले के प्रशासन में शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, परिवहन, और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों को कवर किया जाता है। लेकिन राजस्थान के कुछ जिलों में आबादी अधिक होने के कारण प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से नए जिलों के निर्माण की आवश्यकता महसूस होती है।
नए जिलों की घोषणा का कारण
राजस्थान में नए जिलों का निर्माण करने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
प्रशासनिक दक्षता में सुधार: राजस्थान के बड़े जिलों में प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल होता जा रहा था। अधिक आबादी और व्यापक भौगोलिक क्षेत्र की वजह से प्रशासनिक अधिकारियों को काम करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। नए जिलों का गठन करके प्रशासनिक कामकाज को अधिक कुशल और प्रभावी बनाया जा सकता है।
सुविधाओं का वितरण: नए जिलों के निर्माण से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का बेहतर वितरण संभव हो सकेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और अन्य सेवाओं को अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सकेगा।
आर्थिक विकास: नए जिलों का निर्माण आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। जब कोई नया जिला बनता है, तो उस क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश बढ़ता है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और बुनियादी ढांचे का विकास होता है।
राजनीतिक कारक: जिलों का पुनर्गठन कभी-कभी राजनीतिक कारणों से भी किया जाता है। यह कदम सत्ता में बैठे दलों के लिए जनता के बीच समर्थन बढ़ाने और अपने प्रभाव को मजबूत करने का तरीका भी हो सकता है।
राजस्थान में नए जिलों की घोषणा
हाल ही में राजस्थान सरकार ने राज्य में नए जिलों के गठन की घोषणा की है। इन जिलों के निर्माण का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकास को तेज़ी से बढ़ावा देना है। ये नए जिले राज्य के विभिन्न हिस्सों में बने हैं, और प्रत्येक जिले का अलग-अलग उद्देश्य और महत्व है।
नए जिलों के निर्माण के लाभ
नए जिलों का निर्माण कई मायनों में राज्य के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं इन जिलों के निर्माण से होने वाले प्रमुख लाभ:
प्रशासनिक सुधार: नए जिलों के गठन से प्रशासनिक कार्यों को बेहतर ढंग से संगठित किया जा सकेगा। छोटे जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यभार संभालने में आसानी होती है और जनता को त्वरित सेवाएं मिलती हैं।
आर्थिक विकास: नए जिलों में सरकार द्वारा निवेश बढ़ाया जाता है, जिससे बुनियादी ढांचा मजबूत होता है। नए कार्यालय, उद्योग, और व्यवसायिक संस्थानों की स्थापना से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, जो क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाते हैं।
सामाजिक विकास: नए जिलों के गठन से सामाजिक सुविधाओं का विस्तार होता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वच्छता जैसे बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया जाता है, जिससे आम लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।
पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को जिला बनाए जाने से वहाँ पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण होता है।
चुनौतियाँ और समस्याएँ
हालांकि नए जिलों का निर्माण राज्य के विकास के लिए एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ और समस्याएँ भी आती हैं:
बजट की कमी: नए जिलों के गठन के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है। प्रशासनिक ढांचे के निर्माण, नई इमारतों की स्थापना, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए बजट की आवश्यकता होती है, जिसे पूरा करना कभी-कभी सरकार के लिए कठिन होता है।
स्थानीय विरोध: नए जिलों के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों के बीच विरोध और असंतोष उत्पन्न हो सकता है। कई बार लोग अपने पुराने जिलों से जुड़ाव महसूस करते हैं और नए जिले का समर्थन नहीं करते।
राजनीतिक दबाव: जिलों का पुनर्गठन कभी-कभी राजनीतिक दबाव के चलते किया जाता है, जिससे स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में अस्थिरता आ सकती है। यह विशेष रूप से तब होता है जब जिलों का निर्माण केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है, न कि प्रशासनिक सुधार के लिए।
प्रशासनिक प्रक्रियाएँ
1. कैबिनेट की स्वीकृति
4 अगस्त, 2023 को राजस्थान कैबिनेट ने नए जिलों और संभागों के गठन के लिए अपनी स्वीकृति दी। इसके पश्चात, 5 अगस्त, 2023 को राजस्थान में 19 नए जिलों और 3 संभागों की अधिसूचना जारी की गई।
2. उद्घाटन
7 अगस्त, 2023 को सभी नए जिलों और संभागों का औपचारिक उद्घाटन किया गया। इसके साथ ही, राजस्थान में कुल 50 जिले और 10 संभाग हो गए हैं। यह परिवर्तन 7 अगस्त से प्रभावी हो गया है।
राजस्थान के नए जिलों और संभागों की जानकारी
राजस्थान में हाल ही में किए गए प्रशासनिक पुनर्गठन के तहत तीन नए संभाग और कई नए जिलों का गठन किया गया है। यह कदम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य के विकास और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। नए संभागों और जिलों की जानकारी निम्नलिखित है:
नए संभाग
सीकर संभाग
- जिलें: सीकर, झुंझुनूं, नीमकाथाना, चूरू
पाली संभाग
- जिलें: पाली, जालौर, सांचौर, सिरोही
बांसवाड़ा संभाग
- जिलें: बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़
नए जिले
राजस्थान में नए जिलों की सूची इस प्रकार है:
- नीमकाथाना
- सांचौर
- जयपुर शहर
- जयपुर ग्रामीण
- दूदू (अब राजस्थान का सबसे छोटा जिला)
- कोटपूतली-बहरोड़
- खैरथल
- अनूपगढ़
- ब्यावर
- केकड़ी
- डीडवाना-कुचामन
- शाहपुरा
- डीग
- गंगापुरसिटी
- जोधपुर शहर
- जोधपुर ग्रामीण
- फलौदी
- बालोतरा
- सलूंबर
संभागवार जिलों का बंटवारा
- जयपुर संभाग: जयपुर, जयपुर ग्रामीण, दूदू, कोटपूतली, बहरोड़, दौसा, खैरथल और अलवर
- बीकानेर संभाग: बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अनूपगढ़
- अजमेर संभाग: अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन, शाहपुरा
- भरतपुर संभाग: भरतपुर, धौलपुर, करौली, डीग, गंगापुरसिटी, सवाईमाधोपुर
- कोटा संभाग: कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़
- जोधपुर संभाग: जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, जैसलमेर, बाड़मेर, बालोतरा
- उदयपुर संभाग: उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसमंद, सलूंबर
इस नए प्रशासनिक ढांचे से राज्य की विकास गति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है और स्थानीय प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
राजस्थान में नए जिलों की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा, मंदिर, भूगोल, और नदियों के बारे में जानकारी
राजस्थान के नए जिलों का गठन न केवल प्रशासनिक सुधारों का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को भी उजागर करता है। नए जिलों की स्थापना के साथ-साथ, यह समझना आवश्यक है कि ये क्षेत्र किस प्रकार की विविधता और संपदा के साथ जुड़े हुए हैं।
1. सामाजिक विशेषताएँ
राजस्थान की सामाजिक संरचना में विभिन्न जातियों और समुदायों का समावेश है। हर नया जिला अपने में एक अद्वितीय सामाजिक ताना-बाना लेकर आता है। उदाहरण के लिए:
- जोधपुर: जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में राजपूत समुदाय की प्रमुखता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में व्यवसायिक वर्ग के लोग रहते हैं।
- जयपुर: यह शहरी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ विभिन्न वर्गों के लोग निवास करते हैं।
नए जिलों में सामाजिक मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। नए प्रशासनिक ढाँचे के माध्यम से स्थानीय लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी।
2. सांस्कृतिक विशेषताएँ
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत समृद्ध है। हर नया जिला अपनी विशेष सांस्कृतिक पहचान के साथ जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए:
- जोधपुर: यहाँ की मेहरानगढ़ किला और उमेद भवन जैसे ऐतिहासिक स्थल पर्यटन के लिए प्रमुख आकर्षण हैं।
- जैसलमेर: यहाँ का सोने का किला और लोक संगीत राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
हर जिले में विभिन्न त्यौहार, मेले और परंपराएँ मनाई जाती हैं, जो कि स्थानीय संस्कृति को और भी समृद्ध बनाती हैं।
3. भाषा और संवाद
राजस्थान की प्रमुख भाषा राजस्थानी है, लेकिन हर क्षेत्र की अपनी स्थानीय बोलियाँ भी हैं। नए जिलों में विभिन्न भाषाओं और बोलियों का प्रयोग होता है, जैसे:
- मारवाड़ी: जोधपुर और जैसलमेर में प्रचलित है।
- डूंगरी: जो डूंगरपुर क्षेत्र में बोली जाती है।
राजस्थान में हिंदी भी एक प्रमुख भाषा है, जो सरकारी कामकाज में उपयोग की जाती है।
4. मंदिर और धार्मिक स्थल
राजस्थान में कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं जो क्षेत्र की संस्कृति को समृद्ध बनाते हैं। कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:
- जल्देश्वर महादेव (जोधपुर): यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- गंगाजी का मंदिर (गंगापुर सिटी): यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ की धार्मिक गतिविधियाँ महत्वपूर्ण हैं।
- सिंधरी माता का मंदिर (पाली): यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और यहाँ साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
5. भूगोल और भौगोलिक विशेषताएँ
राजस्थान की भौगोलिक संरचना बहुत विविध है, जिसमें रेगिस्तान, पहाड़, और वनाच्छादित क्षेत्र शामिल हैं। नए जिलों के भूगोल में निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल हैं:
- थार रेगिस्तान: जोधपुर और बाड़मेर के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
- अरावली पर्वत श्रृंखला: यह पर्वत श्रृंखला जयपुर, अलवर, और उदयपुर जिलों से गुजरती है।
6. नदियाँ
राजस्थान में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जो न केवल सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख नदियों में शामिल हैं:
- साबरमती नदी: जो राजसमंद जिले में प्रवाहित होती है।
- लuni नदी: जो जोधपुर और बाड़मेर जिलों से होकर गुजरती है और थार रेगिस्तान में समाहित हो जाती है।
- गोमती नदी: जो अजमेर और नीमकाथाना के पास बहती है और यहाँ की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
राजस्थान के नए जिलों की संस्कृति, भूगोल, मंदिर और अन्य विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है:
1. नीमकाथाना
- संस्कृति: नीमकाथाना क्षेत्र में मुख्यतः राजपूत समुदाय की आबादी है। यहाँ के लोग अपने परंपरागत पहनावे और लोक गीतों के लिए जाने जाते हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र बंसी पहाड़ा से घिरा हुआ है और यहाँ की जलवायु गर्म और शुष्क है।
- मंदिर: यहाँ का प्रमुख मंदिर श्री नीमकाथाना जी का मंदिर है, जो भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल है।
7 अगस्त, 2023 को सीकर जिले की तीन तहसीलें—नीम का थाना, पाटन, और श्रीमाधोपुर, तथा झुंझुनूं जिले की दो तहसीलें—उदयपुरवाटी और खेतड़ी को मिलाकर नया जिला नीम का थाना अस्तित्व में आया। इस जिले की कुल आबादी 13,28,573 है, जबकि इसका क्षेत्रफल 3031.25 वर्ग किलोमीटर है। नीम का थाना जिले की सीमाएं चार जिलों—झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, और कोटपूतली-बहरोड़—के साथ लगती हैं। इसके अतिरिक्त, इसकी अंतर्राज्यीय सीमा हरियाणा के नारनौल से जुड़ी है। नीम का थाना को सीकर संभाग में शामिल किया गया है, जहाँ माइनिंग का सबसे अधिक कार्य इस जिले में होता है।
विशेष आकर्षण
खेतड़ी के वंसियाल रिजर्व एरिया और उदयपुरवाटी के मनसामाता कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में लेपर्ड सफारी जिले का विशेष आकर्षण है। इसके अलावा, प्राचीन तीर्थ स्थल जैसे गणेश्वर, टपकेश्वर, बालेश्वर और भगेश्वर भी इस जिले में स्थित हैं। खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट जिले की शोभा बढ़ाता है, और यहाँ का स्वामी विवेकानन्द संग्रहालय तथा रियासतकालीन महल इस जिले की विशेष पहचान बनेंगे।
प्रमुख धार्मिक स्थल
- श्री गोपीनाथ मंदिर (श्रीमाधोपुर)
- रामेश्वरदास महाराज मंदिर (खेतड़ी, राजस्थान-हरियाणा की सीमा पर)
- सुंदरदास महाराज का मेला (बबाई के पास)
- दाऊधाम टोडा में शरद पूर्णिमा को बड़ा मेला लगता है।
नदियाँ और जल स्रोत
सीकर जिले से निकलने वाली कांतली नदी का बहाव क्षेत्र अब नीम का थाना जिले में भी होगा। जिले की प्रमुख झीलें प्रीतमपुरी और रायपुर का बांध हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल
- देवराला-रूप कँवर सती कांड (1987): इस घटना के बाद तत्कालीन हरिदेव जोशी सरकार ने राजस्थान शक्ति निवारण विधेयक पारित किया।
- गौरीर: सौर ऊर्जा उपक्रम।
- खेतड़ी: खेतड़ी के शासक महाराजा अजीतसिंह द्वारा विवेकानंद को शिकागो धर्म सम्मेलन में भाग लेने की व्यवस्था की गई थी, जिन्होंने नरेंद्रनाथ का नाम विवेकानंद रखा।
अन्य विशेषताएँ
- जोगीदास की छतरी (उदयपुरवाटी): भित्ति चित्रण के लिए प्रसिद्ध।
- अजीत सागर बांध (खेतड़ी): इसका निर्माण 1889-1891 के मध्य हुआ था।
- सुनारी सभ्यता: यह लौहयुगीन सभ्यता है जहाँ लोहा गलाने की सर्वाधिक भट्टियाँ मिली हैं। सुनारी नामक पुरातात्त्विक स्थल नीम का थाना जिले की खेतड़ी तहसील में कांतली नदी के किनारे स्थित है।
- खेतड़ी में ताँबे का उत्पादन हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना नवंबर 1967 में हुई थी।
- खेतड़ी के दर्शनीय स्थल: दाढ़ी मूँछ वाले राम-लक्ष्मण जी का मंदिर, रामकृष्ण मिशन का मठ, भोपालगढ़ का किला, बागोर की हवेली, भटियानी जी का मंदिर, पन्नालाल शाह का तालाब, अजीत सागर आदि।
- खेतड़ी को भारत की ताम्र नगरी के नाम से जाना जाता है।
पुरातात्त्विक स्थल
- पंसारी की हवेली (श्रीमाधोपुर, नीम का थाना)
- गणेश्वर सभ्यता: यह ताम्रयुगीन सभ्यता है, जो कांतली नदी के किनारे स्थित है। इसे पुरातत्त्व का पुष्कर, ताम्र संचयी संस्कृति और ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी माना जाता है।
- गुरारा सभ्यता: यहाँ से चाँदी के लगभग 2744 पंचमार्क सिक्के मिले हैं।
नीम का थाना जिला अपनी विविधता, संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के कारण विशेष महत्व रखता है। यह न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताएँ भी इसे एक अद्वितीय पहचान देती हैं।
2. सांचौर
- संस्कृति: सांचौर में राठी समाज का गहरा प्रभाव है। यहाँ के लोग मुख्यतः कृषि करते हैं और त्योहारों को बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र रेगिस्तानी और हरा-भरा भूमि का मिश्रण है, जिससे यहाँ की कृषि पर आधारित जीवनशैली प्रभावित होती है।
- मंदिर: सांचौर का ऐतिहासिक मंदिर यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
3. जयपुर शहर
- संस्कृति: जयपुर, जिसे "गुलाबी नगर" के नाम से जाना जाता है, यहाँ की राजस्थानी संस्कृति का केंद्र है। यहाँ के मेले, लोक संगीत और नृत्य अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र अरावली पर्वत श्रृंखला के निकट स्थित है।
- मंदिर: गलता जी, जीत माणका मंदिर, और आमेर किला जैसे कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
4. जयपुर ग्रामीण
- संस्कृति: ग्रामीण जयपुर में लोग अधिकतर कृषि और पशुपालन करते हैं। यहाँ की संस्कृति में लोक परंपराएँ और त्यौहार शामिल हैं।
- भूगोल: यहाँ की भूमि समतल है और यहाँ की जलवायु गर्म है।
- मंदिर: यहाँ के प्रमुख मंदिरों में सहिर माता का मंदिर और कुंवरपुर का हनुमान मंदिर शामिल हैं।
जयपुर की दोनों निगमों को छोड़कर, शेष हिस्सा जिसमें सांगानेर और आमेर का भी निगम क्षेत्र शामिल है, निम्नलिखित क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है: जालसू, बस्सी, तुंगा, चाकसू, कोटखावदा, जमवारामगढ़, आंधी, चौमू, फुलेरा, सांभर लेक, माधोराजपुरा, रामपुरा डाबड़ी, किशनगढ़ रेनवाल, जोबनेर, और शाहपुरा।
भौगोलिक सीमाएँ
जयपुर ग्रामीण जिले की सीमाएँ 10 जिलों—सीकर, नीम का थाना, कोटपूतली-बहरोड़, अलवर, दौसा, टोंक, दूदू, अजमेर, डीडवाना-कुचामन, तथा जयपुर के साथ मिलती हैं।
प्रशासनिक विवरण
जयपुर ग्रामीण जिले में 13 उपखंड और 18 तहसीलें शामिल हैं। यहाँ से एन.एच. 21, 48, 52 और 148 गुजरते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- प्रमुख नदी: द्रव्यवती
- चौमूँ: यहाँ स्थित किला चौमूहागढ़ के नाम से जाना जाता है।
- माचेरी: मानपुरा-माचेड़ी में कॉमन एफ्ल्यूऐंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया है, और यह स्थान चमड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
- चाकसू: राजा माधोसिंह द्वारा निर्मित शीतलामाता का मंदिर यहाँ स्थित है।
- फूलेरा: एशिया का सबसे बड़ा मीटर गेज रेलवे यार्ड यहाँ है।
- सांभर: उत्तर भारत के चौहान राजाओं की पहली राजधानी।
- जोबनेर: यहाँ ज्वालामाता का प्राचीन शक्तिपीठ है।
- भैंसलाना: काले संगमरमर के लिए प्रसिद्ध है।
प्रमुख स्थल और संस्थान
- साल्ट म्यूजियम: सांभर में स्थित।
- राज्य की प्रथम आंवला मंडी: चौमूँ में है।
- कANOता बांध: मछली उत्पादन का राज्य का सबसे बड़ा बांध।
- डोलोमाइट का सर्वाधिक उत्पादन: जयपुर ग्रामीण में होता है।
- नालियासर मस्जिद: सांभर में स्थित।
- लेजर सिटी कॉम्पलेक्स: अचरोल में है।
- इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क: बगरू में स्थित।
- लेदर कॉम्पलेक्स: मानपुरा-माचेड़ी में।
सांभर झील
सांभर झील राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, जो जयपुर, डीडवाना–कुचामन, और अजमेर जिलों के अंतर्गत आती है।
वन्यजीव अभयारण्य
- जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- संजय मृगवन/उद्यान: शाहपुरा-जयपुर ग्रामीण में।
- जमवारामगढ़ बांध: 1897 से 1903 तक महाराजा माधोसिंह-द्वितीय द्वारा निर्माण, जिसे जयपुर की जीवन रेखा माना जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- टिण्डा मण्डी: राज्य की सबसे बड़ी टिण्डा मण्डी शाहपुरा में है।
- गौवंश संवर्द्धन फार्म: बस्सी में स्थित।
- आलिव-टी (जैतून चाय): देश में पहली बार बस्सी में उत्पादन किया गया है।
- नागरिक प्रशिक्षण संस्थान: जमवारामगढ़ में स्थापित किया गया है।
- अनिल अग्रवाल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम: चौंप में बन रहा है।
- हाथी सफारी: आमेर किले के पास कुण्डा गाँव में प्रसिद्ध है।
विशेष उल्लेख
- जयपुर ग्रामीण में आदर्श ग्राम योजना: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भटेरी गाँव (बस्सी) का चयन किया है।
- चाकसू की प्रशस्ति: गुहिल वंशीय शासकों की वंशावली के बारे में लेख।
- अजीत कुमार: आग से पेंटिंग बनाने वाले राज्य के एकमात्र कलाकार, जिन्होंने 30 से अधिक शख्सियतों की पेंटिंग बनाई है।
- पशु विज्ञान केन्द्र: जोबनेर में स्थापित किया गया है।
- ओ.डी.एफ. प्लस गाँव: जाहोता गाँव, जालसू ग्राम पंचायत में है।
5. दूदू
- संस्कृति: दूदू क्षेत्र में कृषि आधारित जीवनशैली है। यहाँ के लोग विभिन्न त्योहारों जैसे गणेश चतुर्थी, दीवाली, आदि को धूमधाम से मनाते हैं।
- भूगोल: दूदू अरावली पर्वत श्रृंखला के नजदीक है, और यहाँ की जलवायु सामान्यतः शुष्क होती है।
- मंदिर: श्री राधा कृष्ण मंदिर यहाँ का प्रमुख मंदिर है।
जयपुर जिले से अलग होकर दूदू एक नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया, जिसमें एक विधानसभा क्षेत्र शामिल है। दूदू जिले में राजस्थान की सबसे कम 3 तहसीलें हैं:
- मौजमाबाद
- दूदू
- फागी
नाम | उपखंड |
---|---|
मौजमाबाद | मौजमाबाद |
दूदू | दूदू |
फागी | फागी |
भौगोलिक सीमाएँ
दूदू जिले की सीमाएँ तीन जिलों—जयपुर ग्रामीण, टोंक, और अजमेर—के साथ मिलती हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- ई-सेवा केन्द्र: दूदू देश का पहला ई-सेवा केन्द्र है।
- इतिहास: मौजमाबाद, मानसिंह का जन्म स्थल है, जो 1550 ई. का है।
- भौगोलिक स्थिति:
- अक्षांश: 26.68° उत्तरी अक्षांश
- देशांतर: 75.23° पूर्वी देशांतर
प्रशासनिक विकास
फरवरी 2023 के बजट में दूदू को ग्राम पंचायत से नगर पालिका का दर्जा दिया गया और मार्च 2023 में इसे जिला बनाने की घोषणा की गई।
यातायात
दूदू जिले से एन.एच. 48 गुजरता है।
विशेष तथ्य
दूदू राज्य का पहला ऐसा स्थान है, जिसे सीधे ग्राम पंचायत से जिला का दर्जा दिया गया है।
नया दूदू (Dudu) अपने ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के लिए जाना जाता है।
6. कोटपूतली-बहरोड़
- संस्कृति: यहाँ की संस्कृति में राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य का विशेष महत्व है। यहाँ के लोग मुख्यतः कृषि और पशुपालन से जुड़े हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र समतल भूमि और उपजाऊ मिट्टी के लिए जाना जाता है।
- मंदिर: कोटपूतली का राधा-कृष्ण मंदिर यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
कोटपूतली-बहरोड़ जिला जयपुर जिले की कोटपूतली, पावटा, और विराटनगर तहसीलों को तथा अलवर जिले की बहरोड़, नीमराणा, मांढण, बानसूर, और नारायणपुर तहसीलों को मिलाकर बनाया गया है।
इस जिले की सीमाएँ चार जिलों—नीम का थाना, जयपुर ग्रामीण, अलवर, और खैरथल—के साथ लगती हैं। इसके अलावा, इस जिले की अन्तर्राज्यीय सीमा हरियाणा के रेवाड़ी और महेन्द्रगढ़ जिलों से मिलती है।
औद्योगिक महत्व
कोटपूतली में प्रसिद्ध अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट स्थित है, और यहाँ से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग (एन.एच. 48, 148बी, और 248ए) गुजरते हैं।
जल संसाधन
बाणगंगा नदी का उद्गम बैराठ/विराटनगर की पहाड़ियों से होता है।
ऐतिहासिक स्थल
- बैराठ (विराटनगर): यह प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी रही है, जहाँ मौर्यकालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
- जोधपुरा सभ्यता: यह साबी नदी के किनारे स्थित है, कोटपूतली तहसील में।
- अशोक के अभिलेख: विराटनगर में मौर्य सम्राट अशोक के दो अभिलेख—भाब्रू अभिलेख और वैराठ अभिलेख—प्राप्त हुए हैं। भाब्रू अभिलेख वर्तमान में कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है।
प्रमुख विशेषताएँ
- दूध पैकिंग स्टेशन: कोटपूतली में देश का सबसे बड़ा दूध पैकिंग स्टेशन है।
- बाल विवाह के खिलाफ अभियान: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में बाल विवाह के खिलाफ सबसे बड़े जागरूकता अभियान की शुरुआत कोटपूतली बहरोड़ जिले के नवरंगपुरा गाँव से की गई।
प्रमुख पहाड़ियाँ
- बैराठ की पहाड़ियाँ
- बीजक की पहाड़ियाँ
धार्मिक स्थल
- जिलाणी माता का मंदिर: बहरोड़ में स्थित।
- नीमराणा की बावड़ी: इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है।
- नीमराणा दुर्ग: ऐतिहासिक धरोहर।
अन्य विशेषताएँ
- नीमूचणा हत्याकाण्ड: यह 14 मई 1935 को हुआ, जिसमें महात्मा गाँधी ने इसकी तुलना जलियाँवाला हत्या काण्ड से की थी।
- जापानी और कोरियाई जोन: नीमराणा, कोटपूतली-बहरोड़ जिले में स्थित।
- भारत माला परियोजना: कोटपूतली-बहरोड़ बाईपास शामिल है।
- नीमराणा के समीप हवाई अड्डा: मालवाहक विमानों के लिए बनाया जाना प्रस्तावित है।
- जापानी पार्क: नीमराणा में स्थित।
- C.I.S.F का ट्रेनिंग सेंटर: बहरोड़ में स्थित।
कोटपूतली-बहरोड़ जिला अपनी औद्योगिक प्रगति, ऐतिहासिक महत्व, और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है।
7. खैरथल
- संस्कृति: खैरथल की सांस्कृतिक धरोहर में स्थानीय त्योहार और मेले शामिल हैं। यहाँ का सामाजिक ताना-बाना बहुत मजबूत है।
- भूगोल: यहाँ की भूमि उपजाऊ है और जलवायु गर्म है।
- मंदिर: खैरथल का बालाजी मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल है।
अलवर जिले से अलग होकर नया जिला खैरथल-तिजारा अस्तित्व में आया है, जिसमें सात तहसीलें शामिल हैं: तिजारा, किशनगढ़बास, खैरथल, कोटकासिम, हरसोली, टपूकड़ा, और मुंडावर। खैरथल इस जिले का मुख्यालय है, लेकिन यहाँ उपखण्ड नहीं बनाया गया है; यह किशनगढ़बास उपखण्ड के अंतर्गत रहेगा।
इस जिले में तिजारा, मुंडावर, और किशनगढ़बास विधानसभा सीटें हैं, लेकिन यहाँ कोई रेलवे जंक्शन नहीं है। खैरथल-तिजारा जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग 11 और 919 गुजरते हैं।
औद्योगिक महत्व
प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर भिवाड़ी अब खैरथल-तिजारा जिले में शामिल हो गया है। भिवाड़ी और टपूकड़ा औद्योगिक क्षेत्र अब इस नवगठित जिले का हिस्सा बन गए हैं, जो अलवर जिले को सर्वाधिक राजस्व प्रदान करते थे। खैरथल में प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी सरसों मंडी है, और यह सबसे अधिक तेल मिलों वाला जिला भी है।
प्रमुख स्थल और आकर्षण
- तिजारा: यहाँ भगवान चन्द्रप्रभुजी का प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है।
- तिजारा बाँध: यह जिले का एक महत्वपूर्ण जलाशय है।
- अलाउद्दीन आलम शाह का मकबरा: तिजारा में स्थित ऐतिहासिक स्थल।
- कृष्ण भक्त अलीबक्श पैनोरमा: मुंडावर में स्थित एक दर्शनीय स्थल।
- जारौली गाँव: राज्य का पहला खेल गाँव, जो खैरथल-तिजारा में स्थित है।
- भिवाड़ी: इसे राजस्थान का नवीनतम "मेनचेस्टर" कहा जाता है।
औद्योगिक सुविधाएँ
खैरथल-तिजारा जिले में नोटों की स्याही बनाने का कारखाना, ग्लास फैक्ट्री, और राजस्थान का तीसरा कंटेनर डिपो स्थित है। चिनाब नदी पर बन रहे दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे पुल में काम आने वाली बड़ी मशीनें भिवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र में तैयार की जा रही हैं, विशेषकर श्री पार्वती मैटल कंपनी में। यह कंपनी रेलवे के साथ मिलकर कार्य करती है।
अन्य विशेषताएँ
- पुष्प पार्क: खुशखेड़ा, खैरथल-तिजारा।
- एकीकृत औद्योगिक पार्क: टपूकड़ा, खैरथल-तिजारा।
- ऑटोमोबाइल्स पार्क: खुशखेड़ा, खैरथल-तिजारा।
- तिजारा की पहाड़ियाँ: प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर।
खैरथल-तिजारा जिला अपनी औद्योगिक प्रगति, ऐतिहासिक स्थलों, और सांस्कृतिक धरोहर के कारण महत्वपूर्ण है।
8. अनूपगढ़
- संस्कृति: अनूपगढ़ क्षेत्र में पंजाबी और राजस्थानी संस्कृति का मिलाजुला प्रभाव है।
- भूगोल: यह क्षेत्र शुष्क जलवायु के साथ उपजाऊ मिट्टी से भरा हुआ है।
- मंदिर: यहाँ का प्रमुख मंदिर श्री झूलेलाल मंदिर है।
9. ब्यावर
- संस्कृति: ब्यावर में व्यापारिक संस्कृति का प्रभाव है, यहाँ का बाजार बहुत प्रसिद्ध है।
- भूगोल: यहाँ की जलवायु शुष्क है और यह क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र के निकट है।
- मंदिर: ब्यावर का हनुमान मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
10. केकड़ी
- संस्कृति: केकड़ी क्षेत्र में विभिन्न जातियों का मेल-जोल है, और यहाँ के लोग विभिन्न धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भाग लेते हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर: यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर है।
11. डीडवाना-कुचामन
- संस्कृति: यहाँ के लोग अपनी परंपराओं को बहुत महत्व देते हैं। यहाँ के त्योहारों और मेले जीवन में खुशियों का संचार करते हैं।
- भूगोल: डीडवाना और कुचामन क्षेत्र का भूगोल मिश्रित है, जिसमें शुष्क और हरे भरे क्षेत्र शामिल हैं।
- मंदिर: डीडवाना का बड़ मंदिर यहाँ का प्रमुख मंदिर है।
12. शाहपुरा
- संस्कृति: शाहपुरा की संस्कृति में राजस्थानी और ग्रामीण परंपराएँ शामिल हैं।
- भूगोल: यहाँ की जलवायु सामान्यतः शुष्क होती है।
- मंदिर: शाहपुरा का किला और मंदिर यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
13. डीग
- संस्कृति: यहाँ के लोग विशेषकर मेले और त्योहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
- भूगोल: डीग का भूगोल हरा-भरा और सुंदर है।
- मंदिर: डीग का किला और मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
14. गंगापुरसिटी
- संस्कृति: गंगापुर सिटी की संस्कृति में ग्रामीण जीवन का गहरा प्रभाव है।
- भूगोल: यहाँ की जलवायु गर्म है और यह क्षेत्र उपजाऊ है।
- मंदिर: गंगापुर का महादेव मंदिर यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
15. जोधपुर शहर
- संस्कृति: जोधपुर अपनी ऐतिहासिक धरोहर और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का मेहरानगढ़ किला और उमेद भवन विश्व प्रसिद्ध हैं।
- भूगोल: जोधपुर थार रेगिस्तान के निकट है, और इसकी जलवायु गर्म और शुष्क है।
- मंदिर: जैस्सलमेर का जैन मंदिर और चौधरी का मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं।
16. जोधपुर ग्रामीण
- संस्कृति: जोधपुर ग्रामीण में मुख्यतः कृषि और पशुपालन के व्यवसाय हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र मिश्रित भूगोल के साथ है।
- मंदिर: यहाँ के प्रमुख मंदिरों में रामदेव जी का मंदिर है।
17. फलौदी
- संस्कृति: फलौदी का क्षेत्र मुख्यतः राजपूत संस्कृति से प्रभावित है।
- भूगोल: यह क्षेत्र रेगिस्तानी जलवायु के अंतर्गत आता है।
- मंदिर: फलौदी का शहीद स्मारक मंदिर प्रमुख है।
18. बालोतरा
- संस्कृति: बालोतरा की संस्कृति में मेले और त्योहारों का महत्व है।
- भूगोल: यहाँ की जलवायु शुष्क है, और यह क्षेत्र थार के निकट स्थित है।
- मंदिर: बालोतरा का सोमेश्वर महादेव मंदिर एक प्रमुख स्थल है।
19. सलूंबर
- संस्कृति: सलूंबर की संस्कृति में स्थानीय त्योहार और परंपराएँ महत्वपूर्ण हैं।
- भूगोल: यह क्षेत्र पहाड़ी और हरे-भरे स्थानों से भरा हुआ है।
- मंदिर: सलूंबर का शिव मंदिर यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
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