अप्राकृतिक यौन संबंधों के अनिर्दिष्ट प्रावधानों पर सवाल
स्रोत: द हिंदू AND drishtiias
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की जगह नए अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता- 2023 में अप्राकृतिक यौन संबंध और सोडॉमी (गुदामैथुन) के लिये दंडात्मक प्रावधानों को निर्दिष्ट न करने पर चिंता जताई।
न्यायालय ने BNS में IPC की धारा 377, जिसे पूर्व में गैर-सहमति वाले अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध माना जाता था, के समतुल्य प्रावधानों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया।
भारत में ‘अप्राकृतिक यौन संबंध’ से तात्पर्य प्रकृति के विरुद्ध मानी जाने वाली यौन गतिविधियों से है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 377 ‘अप्राकृतिक अपराध’ से संबंधित है तथा इसे किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति के विरुद्ध स्वैच्छिक शारीरिक संभोग के रूप में परिभाषित करती है।
इस चूक से LGBTQ समुदाय, यौन उत्पीड़न के पुरुष पीड़ितों और अन्य कमज़ोर समूहों की सुरक्षा पर चिंताएँ जताई गई हैं।
केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि न्यायालय विधायिका को कानून में विशिष्ट प्रावधान लागू करने का निर्देश नहीं दे सकते।
वर्ष 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने IPC की धारा 377 के उन हिस्सों को हटाकर समलैंगिकता को अपराध मुक्त कर दिया, जिन्हें LGBTQ समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना गया था।
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1 जुलाई 2024 को BNS लागू हुआ, जिसने IPC की जगह ली, लेकिन गैर-सहमति वाले यौन कृत्यों के खिलाफ कानूनी सुरक्षा में एक बहुत बड़ी चूक के लिये इसकी आलोचना की गई है।
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10 करंट अफेयर्स
UPSC मेन्स के लिये:
CSR व्यय का सामाजिक प्रभाव, CSR व्यय से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकारी आँकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2023 में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) व्यय का सबसे अधिक हिस्सा शिक्षा को प्राप्त हुआ, जिसके लिये 10,085 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, इससे कुछ क्षेत्रों और अंचलों में CSR के असमान व्यय के बारे में बहस छिड़ गई।
CSR व्यय में हाल की प्रगति क्या है?
अवलोकन:
वित्त वर्ष 2022 में कुल CSR व्यय 26,579.78 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 29,986.92 करोड़ रुपये हो गया। CSR परियोजनाओं की संख्या 44,425 से बढ़कर 51,966 हो गई।
सार्वजनिक क्षेत्र से बाहर की कंपनियों ने कुल CSR व्यय में 84% का योगदान दिया।
क्षेत्रवार व्यय:
- वित्त वर्ष 23 में CSR व्यय का एक तिहाई हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया गया।
- व्यावसायिक कौशल पर CSR व्यय पिछले वर्ष के 1,033 करोड़ रुपए से थोड़ा बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 1,164 करोड़ रुपए हो गया।
- प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेटरों को सबसे कम राशि मिली, जो पिछले वर्ष 8.6 करोड़ रुपए की तुलना में वित्त वर्ष 23 में केवल 1 करोड़ रुपए थी।
- स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और आजीविका संवर्द्धन को भी महत्त्वपूर्ण CSR निधि प्राप्त हुई।
- पशु कल्याण पर CSR व्यय वित्तवर्ष 2015 में 17 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्तवर्ष 2023 में 315 करोड़ रुपए से अधिक हो गया।
- प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत CSR व्यय वित्त वर्ष 23 में घटकर 815.85 करोड़ रुपए रह गया, जो वित्त वर्ष 21 में 1,698 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 22 में 1,215 करोड़ रुपए था।
- आपदा प्रबंधन में योगदान में सबसे अधिक गिरावट (77%) आई, उसके बाद झुग्गी विकास में (75%) गिरावट आई।
- CSR प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होते हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित मानदंडों में से किसी एक को पूरा करती हैं।
- 500 करोड़ रुपए से अधिक की कुल संपत्ति
- 1000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार
- 5 करोड़ रुपए से अधिक का निवल लाभ।
- ऐसी कंपनियों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों के अपने औसत निवल लाभ का कम से कम 2% CSR गतिविधियों पर व्यय करना होगा, या यदि वे नई निगमित हुई हैं तो उन्हें पिछले वित्तीय वर्षों के औसत निवल लाभ के आधार पर व्यय करना होगा।
- कॉर्पोरेट परोपकार: कॉर्पोरेट फाउंडेशन के माध्यम से दान।
- सामुदायिक स्वयंसेवा: कंपनी द्वारा आयोजित स्वयंसेवी गतिविधियाँ।
- सामाजिक रूप से उत्तरदायित्व व्यावसायिक व्यवहार: नैतिक उत्पादों का उत्पादन।
- कारण प्रचार और सक्रियता: कंपनी द्वारा वित्तपोषित समर्थन अभियान।
- कारण-आधारित विपणन: बिक्री के आधार पर दान।
- कॉर्पोरेट सामाजिक विपणन: कंपनी द्वारा वित्तपोषित व्यवहार-परिवर्तन अभियान।
- CSR गतिविधियों में कई तरह की पहल शामिल हैं, जिनमें भूख ,गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, एचआईवी/एड्स जैसी बीमारियों से लड़ना, पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना एवं सामाजिक-आर्थिक विकास व वंचित समूहों के कल्याण के लिये सरकारी राहत कोष (जैसे पीएम केयर्स और पीएम राहत कोष) में योगदान देना शामिल है।
- CSR सहभागिता और निरीक्षण को बढ़ाना: CSR को आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) जैसे स्थानीय सरकारी कार्यक्रमों के साथ जोड़ने से सामुदायिक भागीदारी और सहभागिता को बढ़ावा मिल सकता है, जबकि सरकार को प्रभावी CSR कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये तथा बेहतर निरीक्षण हेतु AI का लाभ उठाना चाहिये।
- CSR गतिविधियों के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये NGO दूर-दराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में कंपनियों के साथ मिलकर कार्य कर सकते हैं।
- क्षेत्रीय और भौगोलिक असमानता को दूर करना: उच्च शिक्षा तथा उच्च प्रभाव वाली प्रौद्योगिकीय और पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं में निवेश की आवश्यकता है, जो कौशल विकास एवं आजीविका संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करती हों।
- कम वित्त पोषित क्षेत्रों में व्यय के लिये प्रोत्साहन प्रदान करें या व्यय में क्षेत्रीय असमानता को दूर करने हेतु अनिवार्य प्रावधान करें और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करें।
- PSU बनाम गैर-PSU व्यय असमानता: PSU को योगदान बढ़ाने, बेंचमार्किंग लागू करने और PSU और गैर-PSU के बीच संयुक्त CSR पहल को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित करें।
- कंपनी की भूमिकाएँ और शासन: नियमित समीक्षा करें, स्पष्ट उद्देश्य निर्धारित करें और शासन की भूमिकाओं को अपडेट करें। फंड के उपयोग, प्रभाव आकलन और विस्तृत चेकलिस्ट के लिये नए SOP स्थापित करें।
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